मराठा साम्राज्य की पूरी कहानी

मराठा साम्राज्य की पूरी कहानी 

हिंदुस्तान के  इतिहास ने न जाने कितनी साम्राज्य को अपनी आंखों के सामने उदय होते देखा है  इस इतिहास ने 17वीं शदी का वो दौर भी देखा जहां एक ओर बरसों से कायम मुगल सामराज्य का पतन हो रहा था वही दूसरी तरफ दक्षिण पश्चिम भारत में एक सामराज्य का उदय हो रहा था यह नया समराज अभी मुगलों की तरह ही पू हिंदुस्तान पर हुकूमत करने का सपना लिए धीरे-धीरे छोटी-छोटी रियासतो पर सत्य हासिल करते हुए आगे बढ़ रहे थे

18 वी सदी आते आते उन्होंने आधे भारत पर अपनी बादशाहत कायम कर ली लेकिन बात के बरसो में यह भारत सामराज्य आपसी लड़ाई के कारण बिखर गया और अंत में इसका पतन हो गया नमस्कार दोस्तो TheSpydi.com पर आपका स्वागत है आजम आपको बताने जा रहे हैं बैठा सामराज्य की वीर गाथा जिसने ना जाने कितने बीर हुए 17वीं  के शुरुआत में जब मुगल सामराज्य पतन की ओर बढ़ रहा था उसी दौरान मराठा शक्ति का उदय हुआ


 इतिहासकारों की माने तो मराठा सामराज्य उदय के कई कारण थे उस समय पूरी हिंदुस्तान पर मुगलों का आधिपत्य था जिसकी गलत धार्मिक नीति  हिंदू लोग निराश थे और उसी समय हिंदुस्तान में भक्ति आंदोलन का चलन हुआ इसकी वजह से मराठा सामराज्य का उदय हुआ इसके अलावा मेरठ आओगे उदय का प्रमुख कारण उनकी भौगोलिक परिस्थितियां थी मराठा मराठावाडा मे रहते थे जो तीन भागों में बंटा हुआ था पहला भाग साहद्री पर्वत का पर्वतीय क्षेत्र  , जबकि दुसरा भाग साहद्री पर्वत का तटर्वतीय क्षेत्र और तीसरा भाग पूर्वी मैदान का पहाड़ी और जंगली क्षेत्र था , 

 प्रकृति के इसी कठिन परिस्थितियों के कारण इनमें साहस परिश्रम और निडरता के गुण कूट-कूट कर भरे थे और इन्हीं परिस्थितियों को पहचान कर छत्रपति शिवाजी ने एक अलग स्वतंत्र राज्य की स्थापना की जो मराठा के नाम से जाना गया 
छत्रपति शिवाजी का जन्म 1627 ईस्वी में शिवनेर की पहाड़ी दुर्ग में हुआ था इनकी माता का नाम जीजाबाई था और पिता शाहजी भोंसले था 

लेकिन शिवाजी के जीवन पर माता जीजाबाई दादा देव जी और गुरु रामदास का काफी प्रभाव पड़ा इन लोगों ने बचपन से ही शिवाजी को एक अलग राज्य की स्थापना के लिए प्रेरित किया शुरुआत में शिवाजी का कर्म क्षेत्र मालवा प्रदेश हुआ करता था जहां उन्होंने एक सशक्त सेना का गठन किया 12 साल की उम्र में शिवाजी को उनके पिता शाह जी ने पुणे का दागे बना दिया 


उसके बाद जैसे-जैसे वह बड़े होते गए उन्होंने आसपास के किलो पर कब्जा जमाना शुरू कर दिया 18 साल की उम्र में शिवाजी ने सिंहगढ़  के कीले को जीता उसके बाद उन्होंने इसी तरह से कई और किले भी जीते शिवाजी की बढ़ती ताकत को देखकर औरंगजेब ने 1660 में अपने सेनापति शाहिस्ता खान को भेजा जिसके साथ युद्ध में उन्हें पुणे की जागीर से हाथ धोना पड़ा इस युद्ध में शिवाजी किसी तरह बच गए लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और कुछ ही दिन बाद सूरत और अहमदनगर पर हमला कर उसे लूट लिया इसके बाद औरंगजेब ने शिवाजी को हराने के लिए जैसी को भेजा जिसके साथ युद्ध में शिवाजी के किले में घेरे गए और अंत में 1665 में पुरंदर की संधि करनी पड़ी इस संधि के तहत शिवाजी से मुगलों ने  उनके 23 किल्ले ले लिए और उन्हें बंदी बना लिया बंदी बनने के करीब 1 साल बाद 1666 में शिवाजी औरंगजेब के खेत से भाग गए उसके बाद उन्होंने अपनी सेना के सहायता से सभी केले को पुणे हासिल कर लिया फिर

 1674 में उन्होंने रायगढ़ किले में अपना राज्य अभिषेक करवाया और छत्रपति की उपाधि धारण की और फिर 1680 ईस्वी में छत्रपति शिवाजी की मृत्यु हो गई शिवाजी के मृत्यु के बाद मराठा साम्राज्य में एकविरा नीचे छा गई और अंत में शिवाजी का सबसे बड़ा पुत्र संभाजी अपने भाइयों को हराकर 1681 ईस्वी में मराठा साम्राज्य का राजा बना सांबाजी ने भी अपने पिता की तरह ही अपने पिता की नीतियों का पालन किया उन्होंने कई युद्ध किए और कई रियासतों को अपने कब्जे में लिया लेकिन 1689 ईस्वी में धोखे से मुगलों ने संभाजी को फांसी पर लटका दिया संभाजी के बाद मराठा साम्राज्य की गद्दी पर राजाराम आसन हुए लेकिन 1700 ईस्वी में राजा राम की मृत्यु हो गई राजा राम की मृत्यु के बाद उसका पुत्र शिवाजी द्वितीय अपनी मां ताराबाई के संरक्षक में राजा बना 1707 ईस्वी में सांबा जी के पुत्र साहू जी ने सिहासन पर दावा किया और उसने खेद की लड़ाई में उन्हें परास्त कर मराठा साम्राज्य की गति पर बैठ गया 

लेकिन साहू जी की विजय के बाद मराठा दो भागों में बंट गए एक भाग पर शाहूजी का शासन था जबकि दूसरे भाग पर शिवाजी द्वितीय का हालांकि अंत में लोगों ने साहू जी को अपना छत्रपति माना और 1749 में साहू जी की मृत्यु के बाद मराठा साम्राज्य का कार्यभार पेशवा के हाथ में आ गया और यहीं से पेशवा का प्रमुख हो गया पेशवा के शासन प्रमुख बनने के बाद बालाजी विश्वनाथ इस साम्राज्य के सबसे पहले पेशवा बने उन्होंने इस पद को इतना शक्तिशाली बना दिया कि यह पद वंशानुगत हो गया यही वजह थी कि बालाजी विश्वनाथ के बाद उसका पुत्र बाजीराव पेशवा बना यह शिवाजी के बाद छापामार युद्ध का सबसे बड़ा खिलाड़ी था 


इनके शासनकाल में मराठा शक्ति अपनी चरम सीमा पर पहुंच गई और फिर इन्हीं के शासनकाल में इतिहास का सबसे रक्तरंजित युद्ध पानीपत की तीसरी लड़ाई हुई जो मराठा सेनाओं और अहमद शाह अब्दाली के बीच हुआ 1761 में हुआ था इस युद्ध के पश्चात मराठा साम्राज्य टूट गया था उसके बाद 1772 में माधव नारायण राव ने मराठा साम्राज्य को एकजुट किया और इसी के शासनकाल में मराठों ने पानीपत में अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा को वापस से प्राप्त किया 1772 में सिंधियों और जिन जी राव को उसकी भूमि से खदेड़ने के बाद 1773 में पुर्तगालियों से बेसिन और सालसिर पर विजय हासिल किया 


लेकिन 28 की उम्र में ही माधव नारायण राव की मृत्यु हो गई जो इस साम्राज्य के लिए एक बड़ा झटका था माधवराव की मृत्यु के बाद मराठा आपस में ही लड़ने लगे जिस वजह से 1818 ईस्वी में आते-आते यह साम्राज्य पूरी तरह बिखर गया और फिर अंग्रेजों ने इनके क्षेत्र पर अपना अधिकार जमा लिया 


तो दोस्तों यह थी मराठा साम्राज्य की पूरी कहानी अगर यह कहानी अच्छी लगी तो आपको ज्यादा से ज्यादा शेयर करना है साथ ही ऐसी आर्टिकल पढ़ने के लिए आप हमारे इस वेबसाइट को नोटिफाई कर सकते हैं आपका बहुत-बहुत धन्यवाद

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